"जिंदगी ह़र घद्दी बस इन्तेहाँ लेती है,
दर्द देती है जब तो,
आंशु भी छुपा लेती है,
जिंदगी हर घद्दी बस इन्तेहाँ लेती है,
दर्द बढता ही जाता है,
और एक दिन जान भी ले लेती है,
जिंदगी हर घद्दी बस इन्तेहाँ लेती है,
मुझे वो कभी भी समझ न सके,
खेल कर चल दिए मेरे ज़ज्बातों से,
दिल टूटा मेरा है इस कदर,
न हम रो ही सके न हंस ही सके,
जिंदगी ने लिया ऐसा इन्तेहाँ है""""
दर्द देती है जब तो,
आंशु भी छुपा लेती है,
जिंदगी हर घद्दी बस इन्तेहाँ लेती है,
दर्द बढता ही जाता है,
और एक दिन जान भी ले लेती है,
जिंदगी हर घद्दी बस इन्तेहाँ लेती है,
मुझे वो कभी भी समझ न सके,
खेल कर चल दिए मेरे ज़ज्बातों से,
दिल टूटा मेरा है इस कदर,
न हम रो ही सके न हंस ही सके,
जिंदगी ने लिया ऐसा इन्तेहाँ है""""
"" काश ये जिन्दगी इतनी हसीन होती,
होता न गम से वास्ता अपना
खुशियों से दोस्ती होती,
लगती चोट किसी को दर्द किसी और को होता,
अगर रोता कोई पर आंसू किसी और के बहते,
काश ये जिन्दगी इतनी हसीं होती,
हम चाहते जो भी मंजिल ,
वो मंजिल करीब होती,
काश ये जिन्दगी इतनी हसीन होती,
कहने को तो सब अपने है,
काश कोई ऐसा होता जिसे ,
हमारे दर्द से तकलीफ होती,
काश ये जिन्दगी इतनी हसीन होती. ..."
एक पुराना मौसम लौटा
याद भरी पुरवाई भी
ऐसा तो कम ही होता है
वो भी हो तनहाई भी
यादों की बौछारों से जब पलकें भीगने लगती हैं
कितनी सौंधी लगती है तब माज़ी की रुसवाई भी
ऐसा तो कम...
दो-दो शक़्लें दिखती हैं इस बहके से आईने में
मेरे साथ चला आया है आप का इक सौदाई भी
ऐसा तो कम...
ख़ामोशी का हासिल भी इक लम्बी सी ख़ामोशी है
उनकी बात सुनी भी हमने अपनी बात सुनाई भी
ऐसा तो कम..
एक पुराना मौसम लौटा
याद भरी पुरवाई भी
ऐसा तो कम ही होता है
वो भी हो तनहाई भी
यादों की बौछारों से जब पलकें भीगने लगती हैं
कितनी सौंधी लगती है तब माज़ी की रुसवाई भी
ऐसा तो कम...
दो-दो शक़्लें दिखती हैं इस बहके से आईने में
मेरे साथ चला आया है आप का इक सौदाई भी
ऐसा तो कम...
ख़ामोशी का हासिल भी इक लम्बी सी ख़ामोशी है
उनकी बात सुनी भी हमने अपनी बात सुनाई भी
ऐसा तो कम..